December 25, 2024

हिमाचल की पहाडी नस्ल की गाय को मिली राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

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– नेशनल ब्यूरो ऑफ  एनीमल जैनेटिक रिसोर्सिज ने मान्यता प्राप्त नस्लों की सूची में किया शामिल
-नस्ल को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार को भेजा गया 9.13 करोड़ रु पए  का प्रस्ताव

द हिमाचल हेराल्ड, शिमला 

हिमाचल की पहाड़ी गाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इसके तहत पहाड़ी गाय की नस्ल को नेशनल ब्यूरो ऑफ  एनीमल जैनेटिक रिसोर्सिज ने देश की मान्यता प्राप्त नस्लों की सूची में शामिल किया है। हिमाचली पहाड़ी गाय का पंजीकरण हिमाचली पहाड़ी नाम से एक अधिकारिक नस्ल के रु प में किया गया है, जिससे कि अब यह नस्ल देशी नस्ल की अन्य गायों जैसे साहिवाल, रेड सिंधी व गिर जैसी नस्लों की श्रेणी में शामिल हो गई है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती व पशुपालन मंत्री  वीरेंद्र कंवर ने बताया कि विभाग द्वारा उक्त गाय को गौरी नाम से पंजीकृत करवाने का मामला ब्यूरो को भेजा गया था लेकिन प्रदेश की देशी नस्ल पहाड़ी नाम से ज्यादा प्रचलित हाने के कारण इस नस्ल का नामकरण हिमाचली पहाड़ी के रु प से किया गया है। वर्तमान में हिमाचली पहाड़ी गाय की संख्या साढ़े 7 से 8 लाख के करीब आंकी गई है तथा यह गाय मुख्यत: चम्बा, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, सिरमौर और लाहौल-स्पीति जिला में पाई जाती है। इस नस्ल के पंजीकरण होने से अब इस गाय के उत्थान हेतु कार्यों के लिए भारत सरकार से धन राशि प्राप्त हो सकेगी, जिससे कि इन नस्ल के सरंक्षण व सवर्धन के कार्य में तेजी आएगी। पशुपालन विभाग द्वारा इस नस्ल को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार को 9.13 करोड़ रु पए  का प्रस्ताव भेजा गया था। भारत सरकार द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि इस नस्ल के पंजीकृत होते ही उपरोक्त धन राशि प्रदेश को जारी कर दी जाएगी। पशुपालन विभाग द्वारा उपरोक्त राशि से जिला सिरमौर के बागथन में पहाड़ी गाय का प्रक्षेत्र स्थापित किया जाएगा।

दो वर्ष के कड़े प्रयासों के बाद मिली सफलता: वीरेंद्र कंवर
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि विभाग  पहाड़ी  गाय को मान्यता प्राप्त नस्लों की श्रेणी में शामिल करवाने हेतु इस नस्ल की विशेषताओं को संकलित करके नेशनल ब्यूरो ऑफ  एनिमल जेनेटिक रिसोर्सिज के समक्ष रखा गया था। इसके साथ ही समय-समय पर उपरोक्त संस्थान द्वारा मांगे गए विवरणों को उपलब्ध करवाकर अब 2 वर्षों के प्रयास के पश्चात इस नस्ल का पंजीकरण हो सका है तथा यह नस्ल देशी नस्ल की गायों में सम्मिलित की गई है। उन्होंने कहा कि पुशपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार  ने प्रभावी कदम उठाए है और जनता का उनका सीधा लाभ मिल रहा है।