December 24, 2024

पश्चिम बंगाल की जनता गुंडागर्दी से त्रस्त: सुरेश कश्यप

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द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा की पश्चिम बंगाल में 21 जून 1977 से 13 मई 2011 तक लगभग 34 साल का शासन वामपंथियों का रहा जिसमें हिंसक घटनाओं का क्रम थमा नहीं था , उसके उपरांत 20 मई 2011 से लेकर अब तक 10 साल का शासन तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार का पश्चिम बंगाल में चल रहा है जिसमें हिंसक घटनाएं प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है और यह सारी हिंसक घटनाओं को शह देने वाली स्वयं वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी है। पश्चिम बंगाल की जनता गुंडागर्दी से त्रस्त है , वहां जिस प्रकार से भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों पर, परिवारजनों पर अत्याचार हो रहे हैं उसके लिए पश्चिम बंगाल की जनता ममता बनर्जी को कभी माफ नहीं करेगी।
भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल के समस्त कार्यकर्ता जिनकी जान इन हिंसक घटनाओं में गई है उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करती हैं और महामहिम राष्ट्रपति से निवेदन करती हैं कि पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार का गुंडाराज चल रहा है इससे वहां की जनता को निजात दिलाने के लिए तुरंत प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लगाया जाए , साथ ही पश्चिम बंगाल में सेना बल तैनात कर वहां की जनता को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाए।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से पिछले 10 वर्ष में भारतीय जनता पार्टी का आधार पश्चिम बंगाल में बड़ा है और इन चुनावों में भी भाजपा को अच्छा मत प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है और 77 सीटें भाजपा की झोली में वहां की जनता ने डाली है, इस ट्रेंड से यह स्पष्ट है की जिस प्रकार से भाजपा का परिवार पश्चिम बंगाल में बढ़ता दिखाई दे रहा है अगली बार वहां पर सरकार भाजपा की होगी , मजबूत होगी, गुंडागर्दी एवं भ्रष्टाचार मुक्त होगी।
उन्होंने कहा पश्चिम मिदनापुर में केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन के क़ाफ़िले पर टीएमसी के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया हमला बहुत ही निंदनीय है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कल ही कहा था कि बंगाल में लॉ एंड आर्डर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।जहाँ भारत सरकार के मंत्री पर हमला हो जाय, वहाँ आम जनता की क्या स्थिति होगी?
चुनाव परिणाम आने के बाद से पूरे पश्चिम बंगाल में टीएमसी प्रायोजित हिंसा चरम पर है। लगातार भाजपा कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले हो रहे हैं।
जब हजारों लोग जान बचाने के लिए पलायन कर रहे हैं, बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं, तब फ्रीडम ऑफ स्पीच और मानवाधिकार की वकालत करने वाले ग़ायब है।