-नड्डा समेत केंद्रीय नेताअाें ने जयराम ने की चर्चा
-कांग्रेस-भाजपा में भीतरखाते िछड़ी िटकट की जंग
-जुब्बल-काेटखाई अाैर फतेहपुर िवस उपचुनाव काे दाेनाें दल तैयार
द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
मंडी लाेकसभा क्षेत्र में हाेने वाले उपचुनाव के िलए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से चर्चा की। अपने िदल्ली दाैरे के दाैरान बीती रात जयराम ठाकुर ने जेपी नड्डा के साथ देर रात तक िटकट काे लेकर चर्चा की गई। साथ ही फतेहपुर अाैर जुब्बल-काेटखाई िनर्वाचन क्षेत्र में हाेने वाले उपचुनाव में संगठन की जीत तय करने के िलए केंद्रीय नेताअाें के साथ िवस्तृत चर्चा हुई। मंडी लाेकसभा क्षेत्र की बात करें ताे क्षेत्रफल के लिहाज से देश के दूसरे बड़े लोकसभा क्षेत्र मंडी में अधिकतर राज परिवारों का ही दबदबा रहा है। अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले व्यक्ति को एक बार ही क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। वह भी तब, जब पहली संसद में एक पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। गैर राजपरिवार में पंडित सुखराम, गंगा सिंह सिंह ठाकुर व रामस्वरूप शर्मा को भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है। यहां जातिगत आधार पर कभी चुनाव नहीं हुए हैं। सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण का भी क्षेत्र में कोई खास असर नहीं होगा। सवर्ण तबके से जुड़े संगठन भले ही बाहरी तौर पर इसका समर्थन कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाते उन्हें इस तबके के प्रतिभावान युवाओं के हक पर डाका पड़ता दिख रहा है। 2011 के जनसंख्या आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो मंडी लोकसभा क्षेत्र में 55 फीसद से अधिक आबादी सामान्य वर्ग की है। अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी लगभग 30 फीसद है। 15 प्रतिशत आबादी अन्य वर्गों की है। संसदीय क्षेत्र में पांच जिलों के 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें मंडी जिला के नौ, कुल्लू के चार, लाहुल-स्पीति व किन्नौर जिला का एक-एक, शिमला जिला का रामपुर व चंबा का भरमौर क्षेत्र आता है। 17 हलकों में सिर्फ पांच हलके बल्ह, नाचन, करसोग, आनी व रामपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। एेसे में अब देखना है िक इस बार हारेने वाले उपचुनाव में कांग्रेस या भाजपा िकसे िटकट देती है। दाेनाें पार्टियाें में भीतरखाते िटकट की जंग शुरु हाे चुकी है।
1952 के चुनाव में दाे सांसद चुने गए थे
1952 में पटियाला की तत्कालीन रानी अमृत कौर व गोपी राम निर्वाचित हुए थे, उस दौरान मंडी से दो सांसद चुने गए थे। इसके बाद मंडी रिसायत के राजा जोगिंद्र सेन ने 1962 तक प्रतिनिधित्व किया। फिर सुकेत रिसायत के राजा ललित सेन विजयी रहे थे। कांग्रेस ने फिर रामपुर रियासत के वीरभद्र सिंह को यहां से मैदान में उतारा। 1977 से 1979 की अवधि में जनता पार्टी के गंगा सिंह ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। तब पहली बार यहां कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। 1980 के चुनाव में फिर वीरभद्र सिंह विजयी हुए। 1985 में पंडित सुखराम संसद पहुंचे। 1989 के आम चुनाव में यहां से भाजपा ने कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह को मैदान में उतारा और लोकसभा में पहुंचे। 1991 के चुनाव में पंडित सुखराम ने फिर से जीत हासिल की। 1998 में महेश्वर सिंह ने कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को पराजित किया था। 2004 में कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा सिंह ने महेश्वर सिंह को हराया। 2009 में, कांग्रेस उम्मीदवार वीरभद्र सिंह ने महेश्वर सिंह को हराया। 2013 के उपचुनाव में कांग्रेस की प्रतिभा सिंह विजयी रही। 2014 अाैर 2019 के चुनाव में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा विजयी रहे।फतेहपुर अाैर जुब्बल िवस सीटाें पर उप चुनाव का रास्ता
फतेहपुर िजला कांगड़ा का एेसा िवधानसभा क्षेत्र जहां पर िपछले कई वर्षाें से कांग्रेस काबिज हैं, इसे फहत करने के िलए भाजपा के पास अब उप चुनाव का रास्ता िनकल कर सामने अा गया है। इस सीट पर िपछले 2007 के चुनाव से लेकर अब तक कांग्रेस का ही बाेलबाला रहा अाैर भाजपा जीत की राहत तलाशती रही, लेकिन सुजान िसंह पठानिया के अागे हार का मूंह देखना पड़ा। िपछले चुनाव में भाजपा के कृपाल िसंह परमार अाैर 2012 में बलदेव ठाकुर काे सुजान िसंह पठानिया ने पराजित िकया था। वहीं जुब्बल-काेटखाई में संभावनाएं जताई जा रही है िक स्व. नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा काे उपचुनाव में िटकट िमल सकता है।
As colour can’t lose its ability to give colour after being broken several times. Similarly, I also can’t unlearn the art of spreading love and smile, after being broken, several times by my life !
Boasting a rich and dynamic career of over 18 years in journalism. A “journalist” usually works for an organization such as a newspaper or radio or TV station. They are hired to cover news events and present the information in a timely (and hopefully accurate) manner. There are free lance journalists who sell stories to independent companies.
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