-सीएम जयराम ठाकुर ने सर्वाेच्च न्यायालय के आदेशो का किया स्वागत
द हिमाचल हेराल्ड। शिमला
हिमाचल के 605 प्राेजेक्टस काे सुप्रीम राहत मिल गई है।पिछले कई सालाें से लंबित एफसीए और एफआरए क्लीयरेंस काे मंजूरी देने के लिए बीते दिनों सुप्रीम काेर्ट ने आदेश जारी किए सीएम जयराम ठाकुर ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश के 685.58 हेक्टेयर क्षेत्र में 605 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त की है। एफसीए और एफआरए प्राप्त नहीं होने के कारण विभिन्न विकासात्मक परियोजनाएं कई वर्षों से समय पर कार्यान्वित नहीं की जा सकी। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उदारता और राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने के कारण संभव हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन 605 परियोजनाओं में से सर्वोच्च न्यायालय ने 138 परियोजनाओं को एफसीए स्वीकृति प्रदान की है, इनमें से 20 विद्युत परियोजनाएं, 88 सड़क परियोजनाएं, पांच पेयजल और अन्य परियोजनाएं, तीन बस अड्डा परियोजनाएं, दो राजकीय महाविद्यालय, कोषागार कार्यालय भवन और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और एक-एक आईआईटी कमांद, स्कूल, कार पार्किंग, सब मार्केट यार्ड, पुलिस पोस्ट, गौ सदन, रोपवे मनाली, हैलीपेड, शिवधाम मंडी और पुल शामिल हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि इसके अलावा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एफआरए के तहत 465 परियोजनाओं को अनुमति प्रदान की हैं, जिनमें 334 सड़क परियोजनाएं, 53 स्कूल, 20 सामुदायिक केंद्र, 18 पेयजल आपूर्ति और पानी की पाइप लाइन, 13 टैंक और अन्य लघु जल स्त्रोत, 10 औषधालय या अस्पताल, सात आंगनवाड़ी छह कौशल उन्नयन या व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र और एक-एक उचित मूल्य की दुकान, विद्युत व टेली/लाइन, लघु सिंचाई चैनल और जल या वर्षा संग्रहण संरचना शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का राज्य के लोगों की विकासात्मक आकांक्षाओं के प्रति विचारशील होने और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले को प्रभावी तरीके से रखने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने भी न्यायालय के सामने मामले को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया ताकि राज्य के विकास में विभिन्न बाधाओं को हटाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी परियोजनाओं का कार्य लंबे समय तक रूका रहा और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 11 मार्च, 2019 के आदेश में जारी निर्देशों के कारण यह आगे नहीं बढ़ पाईं। उन्होंने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 15 फरवरी, 2021 को जारी आदेशों के अनुसार 138 परियोजनाओं को कार्यान्वित करने की अनुमति प्रदान की है जिसके लिए केंद्र सरकार ने एफसीए के तहत स्वीकृति प्रदान की है और एफआरए के तहत 465 परियोजनाओं को कार्यान्वित करने की अनुमति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि 1337 करोड़ रुपये के ग्रीन कोरिडोर नेशनल हाइवे सिरमौर और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 61.48 करोड़ रुपये लागत के टू लेन नेशनल हाइवे 20ए (नया एनएच 503) धर्मशाला प्रमुख परियोजनाएं हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 56.36 करोड़ रुपये लागत के 66 केवी लाइन सैंज उप केंद्र से लास्टाधार, 12.54 करोड़ रुपये लागत के वर्तमान 33/11 केवी उप केंद्र के स्तरोन्नयन, दो एमवी सोलर पीवी काजा की स्थापना के लिए 19.31 करोड़ की योजना, 2.07 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले 33/11 केवी तलयार मंडी और 6.74 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले 33/11 केवी मानव रहित उप केंद्र मनाली के निर्माण के लिए भी अनुमति प्रदान की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि न्यायालय ने हि.प्र. पावर ट्रांसमिशन काॅर्पोरेशन लिमिटेड की 338.31 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को भी मंजूरी प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में निरमंड से कोटला उप केन्द्र की 31.73 करोड़ रुपये की 66 केवी डी/सी लाईन, 11.97 करोड़ रुपये की कुरथला-बठार से माजरा की 132 केवी ट्रांसमिशन लाईन, अंधेरी (काला अंब) में 66.47 करोड़ रुपये की 220/132/33 केवी उप केन्द्र, दैहन से हमीरपुर 119.58 करोड़ रुपये की 220 केवी ट्रांसमिशन लाईन तथा लाहा में 108.58 करोड़ रुपये की 66/220 केवी हेलिंग उप केन्द्र शामिल है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय की स्वीकृति से 46.80 करोड़ रुपये की धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की 142.67 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं को भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि नगर निगम शिमला, पशुपालन, परिवहन, स्वास्थ्य, आयुर्वेद तथा निर्वाचन विभाग की 20 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं को भी स्वीकृति प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि मंडी में पर्यटन विभाग की महत्वाकांक्षी शिव धाम परियोजना को भी माननीय न्यायालय ने मंजूरी दे दी है।
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