द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के द्वारा शिक्षकों का उपहास उड़ाने वाले बयान की कड़ी निंदा की है। सीटू ने इसे मंत्री की संकुचित मानसिकता व घमंड करार दिया है। सीटू ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मंत्री को तुरन्त केबिनेट से बर्खास्त करने की मांग की है।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि महेंद्र सिंह ठाकुर का बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है व शिक्षकों का अपमान है। यह उनकी दिवालिया मानसिकता को दर्शाता है। वह स्टेटमेंट सिन्ड्रोम से ग्रस्त हैं। वह हर रोज़ ऊल- जलूल बयान देकर सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं। वह जान बूझ कर ऐसे विवादों को हवा देते रहते हैं। अधिकारियों,संगठनों व अध्यापकों के खिलाफ उनकी निरन्तर बयानबाजी से उनकी तानाशाही व गैर जिम्मेवाराना मानसिकता का पता चलता है। वह अपने वक्तव्यों से कई बार प्रदेश सरकार की फजीहत करवा चुके हैं इसलिए मुख्यमंत्री को उन्हें तुरन्त मंत्री पद से हटा देना चाहिए।
उन्होंने कहा है कि मंत्री महोदय ने बेतुका व अध्यापकों को अपमानित करने वाला बयान देकर हजारों अध्यापकों का अपमान किया है इसलिए उन्हें शिक्षक समुदाय से तुरन्त माफी मांगनी चाहिए। कोरोना काल में अध्यापक अपनी मनमर्ज़ी से घरों से ऑनलाइन पढ़ाई नहीं करवा रहे हैं। कोरोना काल में बच्चों की सुरक्षा के मध्यनजर स्कूल बंद करने का फैसला प्रदेश सरकार का था। इसके बावजूद अध्यापक पिछले डेढ़ वर्ष से अपना कार्य ईमानदारी से करते रहे। वे प्रतिदिन ऑनलाइन शिक्षण सामग्री तैयार करते रहे। हर घर पाठशाला कार्यक्रम के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक बच्चे तक शिक्षण सामग्री पहुंचाते रहे। बच्चों को ऑनलाइन पद्धति से पढ़ाते रहे। बच्चों की शिक्षण सम्बंधित समस्याओं को दूर करते रहे। वे किताबें व प्रत्येक माह विद्यार्थियों का राशन और कुकिंग कॉस्ट राशि बच्चों तक पहुंचाते रहे। वे निरन्तर परीक्षा परिणाम अपलोड करने,विद्यालय की डाक व रिपोर्ट समय पर भेजने आदि सब कार्य करते रहे। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर वेक्सीनेशन प्रक्रिया में सहायता करते रहे।
उन्होंने कहा है कि अध्यापकों ने कोरोना काल में जनवरी 2021 में हुए पंचायत चुनावों में सबसे बेहतरीन कार्य किया है। मंत्री जी के गृह क्षेत्र सरकाघाट में कोरोना काल में स्कूल खुलने पर दोनों बार दर्जनों शिक्षक कोरोना पीड़ित हुए थे। पूरे प्रदेश में सैकड़ों अध्यापक कोरोना की चपेट में आए थे। ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अध्यापकों को अपने पैसे से ऑनलाइन कक्षाओं के लिए ब्लैकबोर्ड,व्हाइट बोर्ड व गैजेट्स के लिए हज़ारों रुपये खर्चने पड़े हैं। कोरोना काल में अध्यापकों ने बाहर से प्रदेश में आने वाले लोगों की चेकिंग के लिए प्रदेश की सीमाओं तक में डयूटी दी है। फिर मंत्री महोदय अध्यापकों के कौन से मजे की बात कर रहे हैं। अध्यापकों ने छात्रों व सरकार के प्रति अपनी डयूटी व भूमिका के साथ पूर्ण न्याय किया है।
As colour can’t lose its ability to give colour after being broken several times. Similarly, I also can’t unlearn the art of spreading love and smile, after being broken, several times by my life !
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