द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का 16वां दीक्षांत समारोह आज आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने की जबकि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित हुए। राज्यपाल ने अपने संबोधन में युवा विज्ञानियों और डिग्रीधारकों से अपील की कि वे रोजगार की तलाश के बजाय रोजगार प्रदात्ता बनें। इसके लिए उन्हें स्वरोजगार की राह पर आगे बढ़ना चाहिए। उनके ज्ञान का लाभ समाज, विशेषकर कृषि समुदाय को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक योगदान के अलावा, वे राज्य के कृषि क्षेत्र में भी योगदान दें। युवा देश की सम्पदा हैं और उन्हें राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। राष्ट्र तभी विकसित हो सकता है जब युवा केंद्रित, अनुशासित और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण अपनाएं। उन्होंने युवाओं से अपने जीवन में अनुशासन, देशभक्ति, ईमानदारी और समर्पण जैसे मूल्यों को विकसित करने का आग्रह किया। श्री आर्लेकर ने कहा कि अनुसंधान और तकनीक के माध्यम से नवाचार बड़े पैमाने पर कृषि समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होगा। राज्यपाल ने स्वर्ण पदक विजेताओं, सभी डिग्रीधारकों और पूर्व विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार द्वारा 1 नवम्बर, 1978 को विश्वविद्यालय के रूप में रोपा गया यह पौधा आज देश में उच्च शिक्षा का केंद्र बन गया है। शांता कुमार की इस परिकल्पना को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और इस दिशा में योगदान देना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार की दिशा में अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है। पिछले साल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने इस विश्वविद्यालय को देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों और समकक्ष कृषि संस्थानों में 14वें स्थान पर आंका, जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन बधाई का पात्र है। उन्होंने विश्वविद्यालय को और अधिक कार्य करने की सलाह दी ताकि यह विश्वविद्यालय देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सके। राज्यपाल ने कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी समाज, राष्ट्र और राज्य के लिए समर्पण की भावना से कार्य करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी विश्वविद्यालय से अर्जित शिक्षा और ज्ञान का भरपूर उपयोग करें। मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय देश के हिमालयी राज्यों के कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी विश्वविद्यालयों में एक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की 90 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि है। इसलिए प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बिना प्रदेश के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कृषि के इस योगदान को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने उत्पादन में सुधार, रोजगार के अवसर सृजित करने और परिवार की आय को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।
जय राम ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी कृषि क्षेत्र ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस महामारी का वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है लेकिन कृषक समुदाय ने यह सुनिश्चित किया कि देश की घटती अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ सहयोग प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि देश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सशक्त नेतृत्व मिल रहा है और उन्होंने इस संकट की घड़ी से देश को सफलतापूर्वक बाहर निकाला है। विभिन्न बाधाओं के बावजूद प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया है कि देश पीपीई किट्स, वेटिंलेटर और दवाई जैसी आवश्यक वस्तुओं में आत्मनिर्भर बने। उन्होंने कहा कि आज देश में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के कृषक समुदाय के कल्याण के लिए चिन्तित हैं और महामारी के दौरान विशेषकर किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से किसान सम्मान निधि योजना शुरू की गई है। इस योजना के अन्तर्गत राज्य के 9.32 लाख किसानों को 1 हजार 350 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। प्रदेश सरकार रसायनों के न्यूनतम प्रयोग व कम निवेश से किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना का क्रियान्वयन कर रही है। प्रदेश के सभी जिलों में जिका परियोजना क्रियान्वित की जा रही है जिससेे फलों और सब्जियों के अंतर्गत क्षेत्र बढ़ा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने फसलों को बन्दरों, जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं से बचाने के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना शुरू की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने पूर्ण राज्यत्व के 51वें वर्ष में प्रवेश किया है। उन्होंने विश्वविद्यालय को कृषि क्षेत्र में प्रदेश की यात्रा को प्रदर्शित करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि फसलों की पैदावार बढ़ाने और प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कृषि उत्पादन तकनीकों, विभिन्न फसलों की किस्मों, भूमि और जल प्रबंधन, जैविक संसाधनों के उपयोग व संरक्षण, जल भण्डारण, रोग और कीट नियंत्रण तकनीकों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान न केवल अतिआवश्यक है, बल्कि यह किसानों की आर्थिकी को भी सुदृढ़ करेगा। यह विश्वविद्यालय देश में अग्रणी और प्रमुख कृषि विश्वविद्यालय बनकर उभरा है जिसका श्रेय विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों की मेहनत और समर्पण को जाता है। उन्होंने मेडल और अवार्ड विजेता विद्यार्थियों के उज्जवल और सफल भविष्य की कामना की।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के डिजी-लाॅकर और वेबसाइट के अपडेटड वर्जन का भी लोकार्पण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के जैनेटिक्स एण्ड प्लांट ब्रिडिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. राजन कटोच द्वारा लिखित पुस्तक राइसबीनः एक्सप्लाॅयटिंग द न्यूट्रिशनल पोटेंशियल आॅफ एन अण्डरयूटिलाइजड लैग्यूम, आर.एस. चन्देल द्वारा लिखित पुस्तक पेस्ट्स आॅफ फ्रूट एण्ड प्लांटेशन क्राॅप्स, डाॅ. आर.के. राजू द्वारा लिखित मेज-गोल्डन ग्रेन आॅफ हिमाचल प्रदेश और विश्वविद्यालय की संयुक्त रिपोर्ट का भी इस अवसर पर विमोचन किया गया।
इससे पूर्व, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में 1.13 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हरित अतिथि गृह का लोकार्पण किया।
पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने इस अवसर पर कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि 43 वर्ष पूर्व उनके मुख्यमंत्रीत्व काल के दौरान इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। इन वर्षों में इस विश्वविद्यालय ने देश के कृषि विश्वविद्यालयों के मध्य अपना एक विशेष स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों के विज्ञानियों के परिश्रम और अनुसंधान का ही परिणाम है कि आज भारत अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, जिसके परिणामस्वरूप कोरोना महामारी के दौरान देश के 80 करोड़ लोगों को निःशुल्क राशन प्रदान करवाया गया। उन्होंने कहा कि कत्र्तव्य के प्रति समर्पण बलिदान नहीं बल्कि हमारे जीवन का भाग है इसलिए हमें दूसरों तथा समाज के लिए जीना चाहिए ताकि अपने जीवन को सार्थक बना सकें।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने मेडल विजेताओं और डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि यह उनकी मेहनत और समर्पण का फल है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र द्वारा सुदृढ़ आधार प्रदान करने के फलस्वरूप कोरोना महामारी के दौरान भी प्रदेश की आर्थिकी स्थिर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुना करने की परिकल्पना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय देश में कृषि क्षेत्र के विश्वविद्यालयों मेें अग्रणी है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरिन्दर कुमार चौधरी ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह में 393 विद्यार्थियों को डिग्रियां आबंटित की गईं हैं जिनमें से 262 स्नातक, 110 स्नातकोत्तर और 21 पीएचडी धारक हैं। विश्वविद्यालय के आठ विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए जबकि दो पूर्व विद्यार्थियों नन्द लाल शर्मा और तिलक राज शर्मा को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न अनुसंधान व शैक्षणिक कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस स्वर्ण जयंती वर्ष से विश्वविद्यालय विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ हिमाचल के 51 स्थानीय उत्पादों के पंजीकरण का कार्य आरम्भ करेगा।
कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर, विधायक अरूण मेहरा, मुल्ख राज प्रेमी व रविन्द्र कुमार, अध्यक्ष वूलफेड त्रिलोक कपूर, अध्यक्ष मिल्कफेड निहाल चन्द शर्मा, पूर्व विधायक प्रवीण कुमार, डाॅ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के कुलपति प्रो. परविन्दर कौशल, सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक नन्द लाल शर्मा, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, विद्यार्थी और पुरस्कार विजेता विद्यार्थियों के अभिभावक भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
As colour can’t lose its ability to give colour after being broken several times. Similarly, I also can’t unlearn the art of spreading love and smile, after being broken, several times by my life !
Boasting a rich and dynamic career of over 18 years in journalism. A “journalist” usually works for an organization such as a newspaper or radio or TV station. They are hired to cover news events and present the information in a timely (and hopefully accurate) manner. There are free lance journalists who sell stories to independent companies.
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