शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने पिछले चार वर्षों के दौरान हिमाचल प्रदेश को 10620 करोड़ रुपये की विभिन्न बाह्य परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है।
विज्ञान भवन नई दिल्ली में वर्ष 2022-23 के केन्द्रीय बजट के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज आयोजित बजट पूर्व परामर्श बैठक को सम्बोधित करते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि वित्त मंत्रालय राज्य को निरंतर उदार वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में राज्य में आधारभूत संरचना के विकास के 400 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण स्वीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि विशेष सहायता के रूप में 600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान की जाए।
सेब पर आयात शुल्क का मुद्दा उठाते हुए जय राम ठाकुर ने इसे 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने पर बल दिया ताकि हिमाचली सेब और इसके माध्यम से जीविकोपार्जन कर रहे अढ़ाई लाख परिवारों के हितों को सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि सेब प्रदेश की मुख्य बागवानी फसल है और यह राज्य की एक बड़ी आबादी के जीविकोपार्जन का प्राथमिक स्त्रोत है। लेकिन राष्ट्रीय बाजार में आयातित सेब भारी मात्रा में पहुंचने से हिमाचल के सेब के मूल्य में तेजी से गिरावट आई है जिससे राज्य के बागवानों को राजस्व का घाटा हो रहा है। ऐसे में आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने के साथ ही सेब को ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) की फल एवं अन्य माल सूची से बाहर रखा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने मंडी जिला में चिन्हित भूमि को ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे के निर्माण के लिए उपयुक्त पाया है और इसके लिए अन्तिम तकनीकी सहमति भी प्रदान कर दी है। ऐसे में उन्होंने इस परियोजना को आगामी केंद्रीय बजट में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रस्तावित हवाई अड्डे को राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजना घोषित करने का आग्रह करते हुए कहा कि लेह से समीप होने के कारण इस हवाई अड्डे का सामरिक महत्त्व है। इस हवाई अड्डे के निर्माण की अनुमानित लागत 3000 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रेल और हवाई सम्पर्क के साधन बहुत ही सीमित हैं और वर्तमान में शिमला, कुल्लू और कांगड़ा में हवाई पट्टी छोटी होने से वे केवल छोटे जहाजों के संचालन के लिए ही उपयुक्त हैं। इन परिस्थितियों में मंडी हवाई अड्डे का निर्माण हिमाचल प्रदेश के लिए समय की मांग है।
जय राम ठाकुर ने वस्तु एवं सेवा कर मुआवजा की सुविधा अगले तीन वर्ष तक जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है और यहां कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियां देश के शेष भागों से अलग हैं। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय सहायता के रूप में वस्तु एवं सेवा कर मुआवजा और राजस्व घाटा अनुदान प्राप्त करता है और इसमें वस्तु एवं सेवा कर मुआवजा केवल जून, 2022 तक ही प्रभावी है। 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य के राजस्व घाटा अनुदान में भी आगामी वर्षों में कमी प्रस्तावित है जिससे राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पडे़गा। उन्होंने वस्तु एवं सेवाकर मुआवजा सुविधा जारी रखने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश के आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए औद्योगिक विकास योजना-2017 को अगले पांच वर्षोें के लिए जारी रखने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक निवेश सम्मेलन-2019 के उपरान्त कई औद्योगिक इकाईयों ने राज्य में अपने उद्योग स्थापित करने में रूचि दिखाई है और इससे लगभग 97 हजार करोड़ रुपये का निवेश संभावित है। उन्होंने कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित औद्योगिक विकास योजना केवल मार्च, 2022 तक ही प्रभावी है और राज्य में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इसे आगे बढ़ाया जाए।
जय राम ठाकुर ने केंद्रीय वित्त मंत्री से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत सड़कों और पुलों के रख-रखाव और मुरम्मत के लिए विशेष अनुदान प्रदान करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में राज्य में बारिश, बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन के कारण सड़क आधारभूत संरचना को लगभग 1100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आपदा प्रबंधन के लिए एसडीआरएफ के अन्तर्गत उपलब्ध करवाई गई सहायता को अपर्याप्त बताते हुए उन्होेंने कहा कि यह निधि कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए भी आवंटित की गई थी।
मुख्यमंत्री ने वेज एंड मीन्स एडवांसिज की सीमा को जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे कोविड-19 महामारी के कारण प्रदेश के राजस्व में आई कमी की क्षतिपूर्ति की जा सकेगी और राज्य में विकास गतिविधियों को भी जारी रखा जा सकेगा।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना और मुख्यमंत्री के सलाहकार डाॅ. आर.एन. बत्ता भी उपस्थित थे।
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