(शिमला) कैथलीघाट से ढली जंक्शन तक फोरलेन परियोजना का निर्माण कार्य दो पैकेज में पूर्ण किया जाएगा, जिसमें कैथलीघाट से शकराल गांव तक प्रथम पैकेज तथा शकराल गांव से ढली जंक्शन तक द्वितीय पैकेज में प्रस्तावित है। यह जानकारी आज यहां उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने शिमला में फोरलेन परियोजना की स्थिति के संदर्भ में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
उपायुक्त ने बताया कि प्रथम पैकेज में कैथलीघाट से शकराल गांव तक फोरलेन सड़क की लम्बाई 17 किलोमीटर 465 मीटर है, जिसमें लगभग 1760 करोड़ रुपये की अनुमानित पंूजी लागत प्रस्तावित है। प्रथम पैकेज के अंतर्गत 20 पुल, 2 टनल, 1 अंडरपास, 53 कलवर्ट, 1 प्रमुख जंक्शन, 2 अल्प जंक्शन तथा 1 टोल प्लाजा बनाया जाएगा वहीं द्वितीय पैकेज में शकराल गांव से ढली जंक्शन तक फोरलेन सड़की की लम्बाई 10 किलोमीटर 985 मीटर है, जिसमें लगभग 1995 करोड़ रुपये की अनुमानित पंूजी लागत प्रस्तावित है। द्वितीय पैकेज के अंतर्गत 7 पुल, 3 टनल, 29 कलवर्ट, 3 प्रमुख जंक्शन तथा 1 अल्प जंक्शन बनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रथम पैकेज के लिए टेंडर खोलने की तिथि 14 फरवरी, 2022 तथा द्वितीय पैकेज की तिथि 25 फरवरी, 2022 निर्धारित की गई है।
उन्होंने बताया कि प्रथम पैकेज के अंतर्गत बनने वाले फोरलेन के लिए लगभग 98 एकड़ भूमि की आवश्यकता रहेगी, जिसमें से 80 एकड़ भूमि उपलब्ध हो चुकी है वहीं द्वितीय पैकेज के अंतर्गत लगभग 30 एकड़ भूमि उपलब्ध हो चुकी है तथा इसके अतिरिक्त अपेक्षित भूमि की पहचान की जा रही है।
उन्होंने बताया कि प्रथम तथा द्वितीय पैकेज के अंतर्गत 9-9 डम्पिंग साईट निर्धारित की गई है, जहां पर सड़क निर्माण के दौरान कूड़ा निस्तारण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि फोरलेन परियोजना के अंतर्गत बनने वाली टनल निर्माण से पूर्व आवश्यक सर्वेक्षण पूर्ण करना आवश्यक है ताकि आने वाले समय में किसी भी प्रकार की आपदा का सामना न करना पड़े। इस संदर्भ में उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण में कार्य करने वाली कंपनियों को पहाड़ी क्षेत्रों में कार्य करने का तजुर्बा होना आवश्यक है ताकि सड़क निर्माण में बेहतर कार्य के साथ लोगों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।
उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान सड़कों के साथ लगते गांव के लोगों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि वन अधिकार अधिनियम की अनुमति के लिए अधिकारी समय रहते कार्य करना शुरू कर दें ताकि सड़क निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो।
उन्होंने जल शक्ति एवं विद्युत विभाग को सात दिनों के भीतर आकलन तैयार कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कार्यालय को भेजने के निर्देश दिए।
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