April 20, 2025

पंचायतों को 327 करोड़ की पहली किस्त जारी

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शिमला:    प्रदेश में 15वें वित्त आयोग के तहत पंचायती राज प्रतिनिधियों के लिए 327 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है, जिसके तहत नव निर्वाचित प्रतिनिधि अपने क्षेत्र के विकास कर सकेंगे। ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने यह विचार आज शिमला ग्रामीण के सुन्नी क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कही।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों के लिए नवीन योजना बनाई है, जिसके तहत वे अपने क्षेत्र के 5 नए काम जिसमें सड़क निर्माण, पेयजल, सिंचाई, महिला मण्डल अथवा युवक मण्डल भवन निर्माण, मोक्ष धाम निर्माण या वर्षा शालिका जैसे कार्य शामिल होंगे, जिसके लिए सरकार द्वारा 5 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जाएगी।
उन्होंने आज 2 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से सुन्नी हरि गौसदन का शिलान्यास किया। उन्होंने बताया कि जिला शिमला में यह पहला अत्याधुनिक गौसदन होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि 90 दिन के भीतर इस सदन का कार्य पूर्ण करें ताकि मुख्यमंत्री जल्द से जल्द इसे लोगों को समर्पित कर सके।
उन्होंने बताया कि हिमाचल मूल की पहाड़ी गाय जो 5 हजार अथवा इससे अधिक फीट की ऊंचाई पर रहती है के संरक्षण व संवर्धन के लिए केन्द्र को भेजी गई परियोजना की स्वीकृति भी प्राप्त हुई है, जिस पर 10 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी। उन्होंने बताया कि इस स्वीकृति से हिमाचल की पहचान गौरी गाय का संरक्षण होगा। गाय के संवर्धन, नस्ल और दूध बढ़ौतरी में भी इस परियोजना के तहत सहयोेग मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सत्ता में आते ही प्रदेश में गौ सेवा आयोग की स्थापना की, जिसके संरक्षण व संवर्धन के लिए सरकार कटिबद्ध है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा 16 हजार आवारा गऊओं को गौसदनों में रखा गया है। उन्होंने बीज प्रज्जनन फार्म सुन्नी को सुचारू रूप से चलाने तथा इसका आधुनिकीकरण करने एवं भवन निर्माण व स्टाफ का प्रबंध करने के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए ताकि लोगों को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने पशु चिकित्सालय भवन सुन्नी के साथ अन्य भवन के निर्माण के लिए 20 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की तथा अधिकारियों को इसके लिए सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कर जल्द कार्य आरम्भ करने के आदेश दिए।
उन्होंने बसन्तपुर सब्जी मण्डी के लिए वन भूमि की स्वीकृति प्राप्त कर जल्द निर्माण के भी आदेश अधिकारियों को दिए ताकि इसका आधुनिकीकरण कर लोगों को उपयोग के लिए समर्पित किया जा सके।