द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का मानना है कि केंद्रीय बजट 2023-24 आम जनविरोधी है तथा यह देश की आज की वास्तविक परिस्थिति के बिलकुल विपरीत है तथा इससे आम जनता को कोई भी राहत नहीं मिलेगी। आज देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट आई है और वैश्विक मंदी की आशंका के चलते प्रभावित हुई है। इस परिस्थिति में बजट में जानता के मुख्य मुद्दे जैसे बेरोजगारी, महंगाई व कृषि संकट के समाधान पर बल दिया जाना चाहिए था। जिससे जनता की खरीद की ताकत बढ़ती व घरेलू मांग को बड़ाया जा सकता।
बजट में इन मुख्य मुद्दों को नजरंदाज किया गया है तथा एक ओर सरकार द्वारा किए जा रहे खर्च में कमी की गई है ताकि वित्तीय घाटे को कम किया जा सके दूसरी ओर अमीर व कॉरपोरेट को और अधिक टैक्स में छूट दी जा रही है। इससे अमीर और अमीर और गरीब और गरीब हो रहे हैं।
वर्ष 2023-24 के बजट में वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान से मात्र 7 प्रतिशत की वृद्धि की गई है जोकि नाममात्र की वृद्धि ही है क्योंकि यदि मुद्रास्फीति की वृद्धि दर को लिया जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि सरकारी खर्च में कमी की गई है। इससे आम जनता की रोजी रोटी पर और संकट बढ़ेगा।
देश में बेरोजगारी की दर जब उच्च स्तर पर हैं ऐसे समय में मनरेगा के लिए बजट मे 33 प्रतिशत, खाद्य सब्सिडी में 90000 करोड़ रूपए की कटौती, खाद की सब्सिडी में 50000करोड़ रूपये की कटौती तथा पेट्रोलियम पदार्थो की सब्सिडी में 6900 करोड़ रूपए की कटौती की गई है। प्रधानमंत्री किसान निधि को भी 68000 करोड़ रूपए से घटा कर 60000करोड़ रूपये कर दिया गया है। महिलाओं, दलित व जनजातीय के लिए भी बजट में कोई वृद्धि नही की गई है।
केन्द्रीय बजट में राज्य को दिए जाने वाले संसाधनों में भी कमी की गई है। राज्य सरकारों पर ऋण लेने की शर्तो को भी और अधिक सख्त किया गया है तथा इनमे सुधार कार्यक्रमों के माध्यम से जनता पर और अधिक सेवा कर व टैक्स का बोझ डालने का प्रावधान किया गया है। हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य को इससे और अधिक कठिनाई होगी।
हिमाचल प्रदेश के लिए इस बजट में कोई भी विशेष राहत प्रदान नही की गई है। प्रदेश की केंद्र सरकार से हमेशा विशेष आर्थिक पैकेज की मांग रही है परन्तु इस पर कोई भी राहत नहीं मिली है। न तो रेल नेटवर्क बढ़ाने के लिए प्रावधान किया गया है और न ही कृषि व बागवानी के क्षेत्र मे कोई राहत दी गई है। प्रदेश के किसान व बागवान सभी फसलों के लिए MSP लागू करने, सेब पर आयात शुल्क 100 प्रतिशत करने तथा कृषि व बागवानी के क्षेत्र में उपयोग में आने वाली सभी वस्तुओं पर GST समाप्त करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं परन्तु सरकार ने इस पर कोई राहत नही दी है।
“सीपीएम बजट में जनविरोधी प्रावधानों के विरुद्ध 22 से 28 फरवरी तक जन अभियान चलाएगी व प्रदर्शन करेगी ताकि इन जनविरोधी प्रावधानों को बदलने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सके और आम जनता को राहत प्रदान की जा सके।”
-संजय चौहान,राज्य सचिवमंडल सदस्य
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
As colour can’t lose its ability to give colour after being broken several times. Similarly, I also can’t unlearn the art of spreading love and smile, after being broken, several times by my life !
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