December 24, 2024

सुक्खू सरकार में सीपीएस की नियुक्तियों पर संकट!

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द हिमाचल हेराल्ड, शिमला

प्रदेश की सुक्खू सरकार ने हुई सीपीएस की नियुक्तियों पर संकट आने की संभावना हैं। इन नियुक्तियों के ख़िलाफ़ विपक्ष कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएगा। हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार के पूर्व उप महाधिवक्ता नरेंद्र ठाकुर ने बताया कि असम और मणिपुर संसदीय सचिव अधिनियम की तर्ज पर इन नियुक्तियों को चुनौती देगी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने असम और मणिपुर में संसदीय सचिव की नियुक्ति के लिए बनाए गए अधिनियम को असंवैधानिक ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने बिमोलंग्शु राय बनाम असम सरकार के मामले में 26 जुलाई 2017 को असम संसदीय सचिव अधिनियम 2004 को असंवैधानिक बताया था।

इस फैसले के बाद मणिपुर सरकार ने संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन और भत्ते और विविध प्रावधान) अधिनियम, 2012 को वर्ष 2018 में संशोधित किया। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट की ओर से मणिपुर सरकार बनाम सूरजा कुमार ओकराम के मामले में इस अधिनियम को भी असंवैधानिक करार दिया गया।

 

हिमाचल में पहले भी रद्द हो चुकी है सीपीएस की नियुक्ति

उल्लेखनीय है कि हिमाचल में भी मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को हाईकोर्ट ने वर्ष 2005 में असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। उसके बाद हिमाचल सरकार ने संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम, 2006 बनाया। इसके तहत वर्तमान सरकार ने छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है। नरेंद्र ठाकुर ने बताया है कि सभी मुख्य संसदीय सचिव लाभ के पदों पर तैनात हैं, जिन्हें प्रतिमाह 2,20,000 रुपये बतौर वेतन और भत्ते के रूप में अदा किया जाता है। उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत के निर्णय के अनुसार विधानपालिका को अदालत के निर्णय के खिलाफ अधिनियम पारित करने की शक्ति नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार मानते हुए इस अधिनियम को हाईकोर्ट के समक्ष निरस्त करने के लिए याचिका दायर की जाएगी।

 

ये हैं प्रदेश सरकार के सीपीएस

हिमाचल सरकार ने छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है। इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया है।