द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
हिमाचल प्रदेश में जब-जब भी चुनाव और सियासत की बात होती है, तब-तब राजनीति के सम्राट स्व. वीरभद्र सिंह को याद करना होगा। पहाड़ों की सियासी पिच पर राज परिवार दशकों से नाबाद खेल रहा है। जिसे प्रदेश की सुक्खू सरकार में लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी बरकरार रखा है। युवा कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव हो या फिर विधानसभा का चुनाव, विक्रमादित्य सिंह आज तक रिकार्ड मतों से जीतकर आए हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरे और शिमला ग्रामीण सीट पर भाजपा प्रत्याशी को पराजित किया। वर्ष 2022 के चुनाव में भी शिमला ग्रामीण सीट से विक्रमादित्य सिंह दूसरी बार मैदान में उतरे और भाजपा को फिर से मूंह की खानी पड़ी। यानी विक्रमादित्य सिंह लगातार दूसरी बार विधायक चुनकर आए और इस बार सुक्खू सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। पार्टी हाईकमान ने उन्हें लोकसभा चुनावी मैदान में उतार दिया है। मंडी संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी एवं बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत को करारा जवाब देने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह ने प्रदेश में पॉलिटिकल फिल्ड सजा दी है।
वीरभद्र को कभी नहीं भुला सकते
रियासत से सियासत संभाल रहे प्रदेश के शाही परिवारों का नाम हर मतदाताओं की जुबान पर हैं। खास कर हिमाचल की राजनीति में स्व. वीरभद्र सिंह को कभी भी भुला नहीं सकते। हिमाचल में छह बार मुख्यमंत्री और केंद्र में चार बार मंत्री रहे स्व. वीरभद्र सिंह को आज भी पूरा देश याद कर रहा है। भले ही आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटा विक्रमादित्य सिंह सियासत को संभाले हुए हैं। प्रतिभा सिंह वर्तमान में पीसीसी चीफ एवं मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। जबकि विक्रमादित्य सिंह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर हैं और वे मंडी संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हैं।
प्रदेश की राजनीति में जब राज परिवारों की बात आती है तो स्व. वीरभद्र सिंह का नाम शिखर पर आता जाता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू चाहते थे कि वीरभद्र सिंह ने राजनीति में आए। पंडित जवाहर लाल नेहरू की बेटी और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष इंदिरा गांधी भी तब वीरभद्र सिंह से खासी प्रभावित थी। इंदिरा के कहने पर 1959 में स्व. वीरभद्र सिंह दिल्ली से हिमाचल लौटे और लोगों के बीच जाकर उनके लिए काम करना शुरू किया। स्व. वीरभद्र का ताल्लुख तो रामपुर बुशहर रियासत से है। नतीजन 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें महासू वर्तमान शिमला सीट से उम्मीदवार बनाया। वीरभद्र आसानी से चुनाव जीत गए और पहली मर्तबा लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 1967 और 1972 में वीरभद्र मंडी से चुनाव लड़ लोकसभा पहुंचे। वर्ष 1980 में लोकसभा चुनाव में स्व. वीरभद्र सिंह एक बार फिर जीत कर लोकसभा पहुंच गए। 1982 में इंदिरा सरकार में उन्हें उद्योग राज्य मंत्री भी बना दिया गया। वर्ष 1983 में पार्टी हाईकमान ने वीरभद्र सिंह को बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल भेजा। इसके बाद उन्होंने प्रदेश कांग्रेस पार्टी को नई दिशा देना शुरू किया। स्व. वीरभद्र सिंह ने 1962, 1967, 1972, 1980 और 2009 में लोकसभा जीतकर रिकार्ड बनाया था। इस बीच वे तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी और डा. मनमोहन की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री रहे।
मंडी से वीरभद्र-प्रतिभा तीन-तीन बार जीते
मंडी संसदीय क्षेत्र को पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के परिवार की परंपरागत सीट के तौर पर जाना जाता है। स्व. वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह यहां से तीन-तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। अब कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट के तहत प्रदेश के छह जिलों मंडी, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, किन्नौर, शिमला और चंबा के 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इसमें धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर मंडी जिला के शेष नौ विधानसभा क्षेत्र, कुल्लू के सभी चार क्षेत्र, किन्नौर, लाहौल-स्पीति सहित शिमला जिला का रामपुर और चंबा का भरमौर विधानसभा क्षेत्र शामिल है।
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