December 25, 2024

राष्ट्र के विकास में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिकाः  पंत

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द हिमाचल हेराल्ड, शिमला 
राष्ट्र के विकास में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत सरकार की नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति का उद्देश्य एक पोषित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करके अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक मिशन मोड परियोजनओं के माध्यम से गहन बदलाव लाना है, जो अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देता है।
प्रधान सचिव विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण कमलेश कुमार पंत ने यहां हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद् (हिमकाॅस्ट) की स्टेकहोल्डर मीट के आयोजन के दौरान यह बात आज कही। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में बहुउद्देशीय दृष्टिकोण अपनाने और क्षेत्रीय स्तर पर लागू करने पर बल दिया जाना चाहिए।
श्री पंत ने राज्य में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, मेक-इन-इण्डिया, स्किल इण्डिया, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फाॅर लोकल के साथ संरेखित करने को कहा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए हिमकाॅस्ट ने विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति फ्रेमवर्क की शुरूआत की है। राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति-2019 की तर्ज पर इसे अब राष्ट्रीय नीति को अन्तिम रूप देने के लिए वर्ष 2020 में संशोधित किया गया है।
उन्होंने कहा कि हिमकाॅस्ट ने राज्य भर में विभिन्न विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों से प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के एक कोर ग्रुप का गठन किया है। विभिन्न क्षेत्रों- प्लांट जेनेटिक्स और आईपीआर, कृषि, बागवानी, इंजीनियरिंग, एप्लाइड बायोटैक्नोलाॅजी, वानिकी, जीव विज्ञन और जैव विविधता, रिमोट सेंसिंग और सुदूर संवेदन, जल, वन्य जीव, गणित, जलवायु परिवर्तन और भौतिकी आदि।
श्री पंत ने कहा कि राज्य की विशिष्ट नीतियों के संबंध में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार इनपुट हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में इसकी भौगोलिक बाधाओं और इसके विकास की चुनौतियों को देखते हुए अधिक महत्व देते हैं। जहां तक पर्वतीय राज्यों के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीतियां हैं, केवल उत्तराखंड राज्य ही इस दिशा में आगे बढ़ा है और अब हिमाचल प्रदेश दूसरा राज्य होगा जिसकी अपनी एसएंडटी नीति होगी। इस नीति में 19 मुख्य मुद्दे हैं, जिनकी राज्यों के दृष्टिकोण से प्रासंगिकता है और राष्ट्रीय नीति के साथ जुड़ाव रखा गया है।