द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
राम सुभग सिंह ने आज यहां हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण किया। वह 1987 बैच के हिमाचल प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश और राज्य के बाहर कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है तथा विभिन्न नवाचारों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राम सुभग सिंह का जन्म 31 जुलाई 1963 को हुआ और उनके पास 34 वर्षों का समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है। पदभार ग्रहण करने के उपरान्त राम सुभग सिंह ने इस उत्तरदायित्व के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्य सचिव के रूप में कार्य करते हुए उनकी प्राथमिकता सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाना होगी। वह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश सरकार के कार्यक्रम और योजनाएं आम जन तक पहुंचे व विकास को और अधिक गति मिले। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के आदेशों की अनुपालना में तत्परता लाकर इसकी प्रतिक्रिया से उनको समय-समय पर अवगत करवाते रहेंगे। राम सुभग सिंह ने जून 1989 से जून 1990 तक सहायक आयुक्त के रूप में कार्य करते हुए ग्रामीण रोज़गार, ग़रीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण आवास तथा मातृ एवं शिशु देखभाल जैसे विकासात्मक कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। स्थानीय स्तर पर लोगों की समस्याओं का संवेदनशीलता से निवारण करने मंे उनका सीधा सरोकार रहा है। 1992 में एडीसी (विकास) एवं सीईओ जि़ला परिषद् का कार्यभार सम्भालते हुए उन्होंने सम्पूर्ण साक्षरता अभियान अक्षर धारा के क्रियान्वयन का कार्य आरम्भ किया, जिससे हज़ारों लोग लाभान्वित हुए। पांगी के रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में उच्च शिक्षण संस्थानों, अनाथालयों और व्यावसायिक केंद्रों की स्थापना इनकी प्रमुख उपलब्धियां रहीं। जि़ला मजिस्ट्रेट शिमला के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने देश में अपनी तरह के पहले गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा नियंत्रण अधिनियम का क्रियान्वयन किया। इस दौरान विकास कार्यों में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रामीण युवाओं में कौशल विकास, किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेती और सिंचाई की नई तकनीकों पर ज़ोर दिया गया। अक्तूबर 1999 से जुलाई 2002 तक राम सुभग सिंह को केंद्रीय खाद्य मंत्री के सानिध्य में काम करने का मौक़ा मिला। ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वालों पर ध्यान केंद्रित करते हुए देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना, मंत्रालय की प्रमुख जिम्मेदारी है। ग़रीब से गरीब व्यक्ति को राशन उपलब्ध करवाने के लिए अंत्योदय अन्न योजना आरम्भ की गई, जिसमें 50 मिलियन की आबादी शामिल थी।
अगस्त 2003 से अप्रैल 2005 तक रक्षा मंत्रालय में डायरेक्टर आॅर्डनेंस एवं क्वार्टरिंग के रूप में काम करते हुए उन्होंने आयुद्ध भण्डार के कार्यों के निपटान में ई-नीलामी की शुरुआत की। आयुद्ध भण्डार के कम्प्यूटरीकरण के लिए 80 मिलियन डाॅलर का एक विशाल प्रोजेक्ट तैयार किया गया। इस दौरान उन्हें एशिया पैसिफिक सेंटर फाॅर सिक्योरिटी स्टडीज़, हवाई (अमेरिका) में एक पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए नामांकित किया गया. उन्होंने सितम्बर 2011 से नवम्बर 2014 तक रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव (नौसेना) के रूप में भी कार्य किया। इस अवधि के दौरान उन्होंने सरकार के साथ नौसेना और तटरक्षक बल के परिचालन मामलों के लिए सहज इंटरफेस सुनिश्चित किया और सामरिक बलों और सामरिक मामलों से संबंधित अत्यंत गोपनीय मामलों का समयबद्ध और विवेकपूर्ण संचालन सुनिश्चित बनाया।
मई 2005 से दिसम्बर 2006 तक उन्होंने विदेश राज्य मंत्री के निजी सचिव के तौर पर कार्य किया। इस दौरान ई-कनेक्टिविटी के लिए एक अभिनव परियोजना तैयार की गई। यह वह समय था, जब भारत ने जी-4 का हिस्सा रहते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और संयुक्त राष्ट्र सुधारों के विस्तार की पहल की थी। केन्द्रीय मंत्री इस पहल के प्रभारी थे और राम सुभग सिंह ने विभिन्न बहुपक्षीय बैठकों और आसियान क्षेत्रीय मंच के लिए केन्द्रीय मंत्री के सहयोगी रहे। नेफेड के प्रबंध निदेशक के पद पर कार्य के दौरान उन्होंने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए मार्केटिंग सपोर्ट प्रदान करने में सहयोग किया। पहली बार दालों के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया गया। उप महानिदेशक (क्षेत्रीय प्रमुख), भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए उन्होंने 2500 से अधिक नामांकन केंद्रों और इन केंद्रों को संचालित करने वाले आॅपरेटरों की निगरानी की। ऐसा माहौल निर्मित किया जिससे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से कुशलतापूर्वक लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचे।
उन्होंने आयुक्त (पर्यटन), सचिव गृह, कृषि, बागवानी, सूचना एवं जन सम्पर्क के रूप में भी कार्य किया। मुख्य सचिव का पदभार सम्भालने से पूर्व राम सुभग सिंह 2018 से 2021 के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, ऊर्जा, वन, पर्यटन, परिवहन और शहरी विकास के रूप में कार्यरत थे। राम सुभग सिंह ने दो दर्जन से भी अधिक देशों की यात्रा की है। उन्हें वर्ष 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में कुलाधिपति का स्वर्ण पदक प्रदान किया गया था। उन्हें कारगिल युद्ध विधवाओं के पुनर्वास के उत्कृष्ट कार्यों के लिए भी सेना प्रमुख ने प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया है।
As colour can’t lose its ability to give colour after being broken several times. Similarly, I also can’t unlearn the art of spreading love and smile, after being broken, several times by my life !
Boasting a rich and dynamic career of over 18 years in journalism. A “journalist” usually works for an organization such as a newspaper or radio or TV station. They are hired to cover news events and present the information in a timely (and hopefully accurate) manner. There are free lance journalists who sell stories to independent companies.
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