April 20, 2025

नहीं िबकेंगे िहमाचल के टी-गार्डन, नए कानून के िलए जयराम सरकार की कवायद

#tea gaurden#
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-तत्कालीन वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में बेचने का िकया था प्रावधान
-सरकार ने िबल पेश कर िसलेक्ट कमेटी काे भेजा, जल्द पास हाेने की उम्मीद

 

द हिमाचल हेराल्ड, शिमला 

िहमाचल के टी गार्डन काे अब काेई भी नहीं बेच सकेगा। इस संदर्भ में प्रदेश की जयराम सरकार ने बीते िदनाें िवधानसभा में िबल पेश िकया, लेकिन पारित नहीं हाे सका। सबके सुझाव के बाद िबल काे िसलेक्ट कमेटी के हवाले कर िदया गया। जाे जल्द ही संशाेधन कर मंजूरी के िलए सरकार काे भेज िदया जाएगा। जयराम सरकार की इस कवायद से िहमाचल के टी गार्डन बचे रहेंगे। एेसे में जल्द ही सरकार से िबल काे हरी झंडी िमलने की उम्मीद जगी है। हालांिक पूर्व की वीरभद्र िसंह सरकार ने बेचने की अनुमति दी थी, िजसे वर्तमान सरकार ने उस वक्त के िबल काे वापस लेकर संशाेधित िबल सदन में पेश िकया। िहमाचल प्रदेश िवधानसभा में िहमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम, 1972 (1973 का अधिनियम संख्यांक 19) का और संशोधन करने के लिए विधेयक को पुर:स्थापित करने के िलए पेश िकया गया। िजसे हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा(संशोधन) विधेयक 2021 रखा गया। एेसे में नए कानून लागू लागू हाेने के बाद भूखंडों में फैले हिमाचल प्रदेश के चाय बागान सरकार में निहित होंगे। इस कड़ी में धर्मशाला-पालमपुर से लेकर चौंतड़ा-जोगिंद्रनगर तक के टी-गार्डन सरकार के राडार में आ जाएंगे। यानी चाय बागान काे बेच नहीं सकेगा। बताया गया कि धर्मशाला और पालमपुर में पांच से 10 हजार बीघा तक के टी गार्डन एक ही परिवार के राजस्व रिकार्ड में दर्ज हैं। इस संशोधित विधेयक के पारित हाेने से एचपी सीलिंग ऑफ लैंड होल्डिंग एक्ट 1972 की धारा-6ए व 6-7 को समाप्त कर दिया जाएगा। साफ है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद चाय बागान सीलिंग एक्ट के दायरे में आ जाएंगे। इसके बाद लाखों बीघा चाय बागानों काे काेई भी नहीं बेच सकेंगे। यदि सरकार से अनुमति िमलती है ताे ही बेचने की मंजूरी दी जाएगी।

धर्मशाला से जाेगिंद्रनगर तक फैला है चाय बागान
हिमाचल में चाय बागानों के बड़े भूखंड धर्मशाला से लेकर जोगिंद्रनगर तक फैले हैं। इस फेहरिस्त में प्रदेश के दो प्रतिष्ठित परिवारों के पास हजारों बीघा टी-गार्डन की जमीनें हैं। इस विधेयक के लागू होने के बाद सरकार में निहित होने वाली टी-गार्डन की जमीनों के प्रयोग पर भी दिलचस्पी रहेगी। बता दें कि सीलिंग एक्ट से बाहर होने के बावजूद वर्तमान में चाय बागानों को बेचने व खरीदने की अनुमति नहीं है। इसके लिए बाकायदा राज्य सरसकार से मंजूरी लेना आवश्यक है। प्रदेश सरकार के पास अब तक सैकड़ों बार चाय बागानों को बेचने व खरीदने के प्रस्ताव आ चुके हैं।

क्या है लैंड सीलिंग एक्ट
1972 के इस एक्ट में एक व्यक्ति के नाम 151 बीघा यानी 302 कनाल से ज्यादा भूखंड नहीं हो सकता है। इससे ज्यादा जमीन को सरकार में निहित करने का प्रावधान है। चाय बागानों को इस कानून के दायरे में बाहर रख असंख्य भूखंड रखने का हक है। अब इसी में संशोधन किया जा रहा है। चाय बागानों की प्रति यूनिट 151 बीघा से अधिक जमीन को सरकार में निहित कर इसका प्रयोग कर सकती है। इस आधार पर टी गार्डन की जमीन पर कृषि-बागबानी से जुड़े अनुसंधान केंद्र या प्रदेश के बड़े संस्थान निर्मित हो सकते हैं।