द हिमाचल हेराल्ड, शिमला
जल शक्ति व बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा है कि फसल बीमा योजना के तहत बागवानों को बीते तीन सालों में 128 करोड़ रुपए का लाभ दिया गया है, जबकि इस अवधि के दौरान किसानों और केंद्र व राज्य सरकार ने बीमा के प्रीमियम के रूप में कुल 248.88 करोड़ रुपए जमा करवाए हैं। बागवानी मंत्री ने कहा कि इस योजना में कई खामियां हैं और व खुद ही इसे लेकर स्पष्ट नहीं है। ऐसे में इस संबंध में सभी संबंधितों के साथ बैठक कर खामियों को दूर किया जाएगा। वे शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा सदस्य नरेंद्र बरागटा के मूल और कांग्रेस सदस्य जगत सिंह नेगी के अनुपूरक सवाल का जवाब दे रहे थे।
महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है, लेकिन बीमा कंपनियों की वजह से बागवानों को लाभ नहीं मिल रहा है। महेंद्र सिंह ठाकुर फसल बीमा योजना को लेकर विधायक नरेंद्र बरागटा के सवाल का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने माना कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि बागवानों से कंपनियों ने 101.08 करोड़ रुपए से अधिक का प्रीमियम कैसे वसूल लिया, जबकि फसल बीमा योजना के तहत कुल प्रीमियम का सिर्फ 5 फीसदी हिस्सा ही बागवानों को देना था तथा शेष हिस्सा केंद्र और प्रदेश सरकार को आधा-आधा चुकता करना था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से 2020 के दौरान प्रदेश सरकार ने फसल बीमा के एवज में इन कंपनियों को 74.02 करोड़ रुपए, जबकि भारत सरकार ने 73.77 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रीमियम के रूप में दी है। उन्होंने कहा कि कंपनियों द्वारा वसूले जा रहे प्रीमियम को लेकर वे खुद स्पष्ट नहीं है। इसलिए वे कंपनियों और केंद्र सरकार के अफसरों के साथ बैठक करेंगे।
बागवानी मंत्री ने माना कि बागवानी को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के बाद इसके आकलन के लिए बीमा कंपनियों के लोग नहीं मिलते और बाद में यही लोग कह देते हैं कि नुकसान के आकलन का समय खत्म हो चुका है। ऐसे में बागवानों को फसल बीमा का उचित फायदा नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना प्रदेश में पहली अप्रैल 2016 को लागू हुई थी और इस योजना के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच 424311 बागवान पंजीकृत हुए थे। इस योजन के तहत उद्यान विभाग रबी की फसल का ही बीमा करता है। इस कार्य के लिए एआईसी, इफको टोक्यो, आईसीआईसीआी लम्बार्ड, एचडीएफसी एरगो और रिलायंस जीआईसी इत्यादि कंपनियों से अनुबंध है।
उधर, भाजपा सदस्य नरेंद्र बरागटा ने कहा कि यह दुख का विषय है कि प्रकृति की मार किसानों व बागवानों पर पड़ रही है। इस कारण हजारों करोड़ का नुकसान हो चुका है। क्या यह सत्य है कि 2009-10 में पायलट योजना के तहत फसल आधारित बीमा योजना शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि फसल का बीमा कई सालों से नहीं मिल रहा है, जबकि प्रीमियम खाते से पहले ही कट जाता है। जो कंपनियां बीमा राशि जारी नहीं कर रही, क्या उन्हें ब्लैक लिस्ट किया गया है। ड्रोन के माध्यम से फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया जाए। वहीं, कांग्रेस सदस्य जगत सिंह नेगी ने कहा कि सेब किस फसल में आता है, जबकि फसल बीमा योजना रबी फसल की है। सेब तो खरीफ में आता है।
महेंद्र सिंह ने कहा कि सेब की फसल को रबी की फसल के दौर में ही नुकसान होता है। इसलिए यह इसमें शामिल है। उन्होंने कहा कि ऊंची चोटियों में बाद में नुकसान होता है और इस कारण वे योजना के लाभ से वंचित होते हैं और वे इसका प्रावधान इसमें शामिल करने पर विचार करेंगे।
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