-राज्य सचिवालय में 5 लाख 63 हजार से खरीदे गमले
-अार्मजडेल िबल्डिंग में नई िखड़कियाें पर खर्च रही 1 कराेड़ 43 लाख
द हिमाचल हेराल्ड । शिमला
आर्थिक संकट के बीच फीजूल खर्चे पर प्रदेश की जयराम सरकार अाउट अाॅफ कंट्राेल िदखाई दे रही है। हालांिक मूलभूत सुविधाअाें के िलए हाथ तंग करने की जरुरत नहीं हाेती है, लेकिन राज्य सचिवालय काे पहले से अधिक सुंदर बनाने के िलए कराेड़ाें रूपए खर्च िकए जा रहे हैं। हैरानी की बात है िक सचिवालय के दाेनाें भवनाें के भीतर फूल व पाैधे के िलए 962 गमले खरीदे गए, जाे 5 लाख 63 हजार के हैं। सरकार के सचिवालय प्रशासन के दस्तावेज में इसका पूरा ब्याैरा िदया है। हाल ही में अार्मजडेल िबल्डिंग में 462 अाैर इलर्जली िबल्डिंग में 500 गमले लगाए गए हैं। यानी कुल िमला कर एक गमले का रेट 585 रूपए है। यह काेई िमट्टी के नहीं, बल्कि प्लास्टिक के गमले हैं। फीजूल खर्चा नंबर दाे, अार्मजडेल जाे सचिवालय की पुरानी िबल्डिंग के बाद बनी, सरकार इस भवन की िखड़कियाें काे बदलने पर भी डेढ कराेड़ रुपए खर्च कर रही है। सचिवालय प्रशासन इन िखड़कियाें काे बदलने के पीछे तर्क दे रहा है िक इस भवन काे बने 38 साल हाे चुके हैं अाैर िखड़कियां सड़ने लगी है। साेलर पैसिव िडजाइन के तहत लग रही इन िखड़कियाें पर अभी तक 1 कराेड़ 43 लाख 80 हजार रूपए खर्चा अांका गया है। हैरानी की बात है िक जब सचिवालय की पुरानी िबल्डिंग की िखड़कियां अभी तक खराब नहीं हाे पाई ताे पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के राज में बन इस भवन की िखड़कियां कैसे सड़ने लगी?
कर्ज लाैटाने के लिए फिर लेना पड़ेगा कर्ज
प्रदेश सरकार को आगामी 5 साल में 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लौटाना है। इस कर्ज को लौटाने के लिए सरकार को फिर से कर्ज लेना होगा। यानि पहले से लिए कर्ज को वापस लौटने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। इस तरह साल दर साल प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। जहां पिछली सरकार के कार्यकाल में 5 साल के दौरान 19 हजार199 करोड़ रुपए की ऋण वृद्धि हुई थी, वहीं वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 12 हजार 600 करोड़ रुपए की ऋण वृद्धि हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि बजट की तैयारियों से पहले राज्य सरकार को नए साल में 2 बार कर्ज लिया है, जिस कारण मौजूदा समय में सरकार की तरफ से पहले लिए गए कर्ज को लौटाने के बाद इस वक्त 60 हजार 544 करोड़ रुपए का कर्ज है।
ऐसा है राज्य सरकार पर ऋण का बाेझ
वित्तीय वर्ष वर्ष के दौरान वृद्धि वर्ष के अंत में स्थिति
2013-14 2 हजार 735 करोड़ 31 हजार 442 करोड़
2014-15 3 हजार 709 करोड़ 35 हजार 151 करोड़
2015-16 3 हजार 417 करोड़ 38 हजार 568 करोड़
2016-17 5 हजार 855 करोड़ 44 हजार 423 करोड़
2017-18 3 हजार 483 करोड़ 47 हजार 906 करोड़
2018-19 2 हजार 867 करोड़ 50 हजार 773 करोड़
2019-20 5 हजार 334 करोड़ 56 हजार 107 करोड़
2021-22 4 हजार 437 करोड़ 60 हजार 544 करोड़
As colour can’t lose its ability to give colour after being broken several times. Similarly, I also can’t unlearn the art of spreading love and smile, after being broken, several times by my life !
Boasting a rich and dynamic career of over 18 years in journalism. A “journalist” usually works for an organization such as a newspaper or radio or TV station. They are hired to cover news events and present the information in a timely (and hopefully accurate) manner. There are free lance journalists who sell stories to independent companies.
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